इस देश गरीब भी भी रहते सरकार सरकार

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सूरज कुमार सम्पादक


कुछ चनौतियों से निबटने की तैयारी है कोरोना से जंग में राज्यों के प्रयास अभी तक सब कुछ ठीकठाक ही चल और अंडों की मांग की थी। वाराणसी 30-3 फीसदी मामले एक ही जमात की बात को हल्के से लेकर तबलीगी स्पैनिश फ्लू ने महामारी का रूप सुझाव मनरेगा को लेकर भी हैंरीतिका खेरा और ज्या ड्रीज रहा था लेकिन दिल्ली में तबलीगी में भी जमात से जुड़े लोगों ने अमर्यादित से आ रहे हैं। क्या यह खतरनाक जमात को मौत के मुंह में उंडेलने के लिया था, इसकी चपेट में आने से अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया है कि मनरेगा मजदूरों को 2019-20जमात ने माहौल खराब करने का व्यवहार कियाअलीगढ़ और बरेली में संकेत नहीं है? भारत ने अभी तक साथ इस जंग को तगड़ा झटका लाखों-करोड़ों लोगों की जान चली बकाया मजदूरी का तत्काल भुगतान कर दिया जाना चाहिए। जॉब बड़ा गुनाह किया। तबलीगी जमात पुलिस पर ही हमला कर दिया गया। जो भी टेस्ट किए हैं. उनके अनुपात दिया है। इस देशद्रोही जमात के तार गई थी। कोरोना दुनिया से जल्दी भी मनरेगा मजदूरों को आंगनबाड़ी केंद्रों या पंचायत भवनों में अलग के लोगों ने देश भर में कोरोना वायरस केरल के कोच्चि अस्पताल में जमातियों में कोरोना मरीजों की संख्या बेहद कश्मीर से कन्याकुमारी तक जुड़े हुए अपना कहर वो इसके लिए समूहों में बुलाकर बिना काम लिए 10 दिन की मजदूरी का भुगतान फैलाने का काम किया है। ये खुला ने वार्ड में गंदगी ही फैला दी। एक सीमित रही है। यदि ऐसी ही हरकतें हैं, जिसे ढूंढने को हमारे योद्धाओं के सारी दुनिया को कोरोना से बचने के जाना चाहिए इस तरह कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को दूर तथ्य है। तबलीगी जमात का यह अस्पताल में जमाती क्वारंटीन को तैयार सामने आती रहीं तो हम शून्य पर ऊपर एक और जिम्मेदारी आ पड़ी तौर-तरीकों इलाज के साथ दाएं उनकी आर्थिक मदद हो सकेगी। सभी जॉब कार्ड धारियों के लिए कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है। जरूर हुए. लेकिन सामूहिक नमाज पहुंच सकते हैं। इस आपदा के है। नवरात्रों के बावजूद मंदिर, गुरुद्वारे, भी मांगनी चाहिए। आचार्य चाणक्य ने 2000 रुपए प्रति माह प्रति हाउसहोल्ड होगी। वर्तमान में एक लेकिन उससे भी बड़ा कुकृत्य जमात पढ़ने पर आमादा हो गए। ऐसे हुड़दंगियों समय शासन, प्रशासन और समाज व्यापार व देश बंद रहा, परंतु मौलाना कहा है कि महामारी, आक्रमण और चालीस लाख जॉब कार्डधारी हैं। रीतिका खेरा के अनुसार इस पर के लोगों ने उनका उपचार कर रहे और अराजक तत्त्वों पर रासुका के के बीच अच्छा समन्वय भी देखा जा ने मरकज के बहाने सैकड़ों जमाती बड़े संकट आने पर नागरिकों को में 1 अरब रुपए का खर्च आएगा। बाद के महीनों में कम्युनिटी चिकित्साकर्मियों के साथ बदतमीजी तहत कार्रवाई की गई है, लेकिन बड़ा रहा है। किसी महामारी से लड़ने में इकट्ठा कर ऐसा जघन्य अपराध अपनी जिम्मेदारियों को कतई नहीं का खतरा कम होने के बाद जो जॉब कार्ड धारी कार्य करनेकरके किया है। चिकित्सा कर्मियों के सवाल यह है कि देश के लिए कोरोना ये सब काफी सहायक होता है किसके इशारे पर किया ? भूलना चाहिए। बड़ी से बड़ी लड़ाई हैं उन्हें महीने में 20 दिन का कार्य अवश्य उपलब्ध कराया जानाअलावा पुलिस वालों पर भी जमात महामारी का यह संकटकाल है, क्या किन्तु सबसे बड़ी बात है लॉक अभी तो कहा जा रहा है कि सामुदायिक तभी जीती जा सकती है जब राष्ट्र वैसे भी मनरेगा के अंतर्गत जॉब कार्ड धारी द्वारा मांगे जाने पर के लोगों ने थूका है। ऐसे में हालात उसके दौरान भी ऐसे लोग अपनी डाउन का कड़ाई से पालन होना। संक्रमण की शुरुआत नहीं हुई है, का हरेक नागरिक इसमें आहुति देता दिनों का काम उपलब्ध कराना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है। कैसे काबू में आएंगे ये बड़ा सवाल कट्टरपंथी सोच पर अड़े रहेंगे और जरूरी सामान खरीदने के लिए दिए लेकिन जमात किस हकीकत की ओर है। इन है। इनके अनुसार जब महामारी का अर्थशास्त्रियों का एक बड़ा वर्ग सभी प्रकार के भुगतान( पेंशन्स, मनरेगाखड़ा हो गया है। करीब 130 करोड़ देशव्यापी अभियान को ध्वस्त करने की गये समय और छूट के दौरान जिस इशारा कर रही है। लेकिन इसमें प्रकोप फैलता है तो कई लोगों के मजदूरीप्रधान मंत्री कौशल विकास योजना आदि सभी योजनाओं केकी आबादी वाले देश में ऐसी कोशिशें करते रहेंगे? जमात से जुड़े तरह की अव्यवस्था अनेक जगहों कोई दो राय नहीं है कि जमात के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा के लिए आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम के प्रयोग से बचने की सलाह लापरवाहियां बर्दाश्त नहीं की जानी अधिकतर लोगों का मानना है कि कोरोना पर देखी जा रही है वह लोगों ने कई राज्यों के गणित बिगाड़ हो जाता है। जमात के लोगों के साथ क्योंकि यह रिजेक्टेड और फेल्ड पेमेंट्स की बड़ी संख्या केचाहिएफिलहाल 17 राज्यों के ही हिंदुओं और यहूदियों का ही विनाश नुकसानदायक हो सकती है क्योंकि दिए हैं। पुलिस व चिकित्साकर्मियों के साथ बहुत कठिनाइयां उत्पन्न कर रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वयंआंकड़े उपलब्ध हैं, जिनमें साफ है करेगा। डाक्टर और नर्स जांच करने एक संक्रमित व्यक्ति अनगिनत लोगों यदि इसी आधार पर मामले दुर्व्यवहार कर रहे लोगों को यह आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम के कारण डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफरकि तबलीगी जमात ने कोरोना संक्रमण नहीं, उन्हें कोरोना का इंजेक्शन देने को कोरोना के जाल में फंसाने की सामुदायिक संक्रमण के तीसरे चरण समझना होगा कि उनकी एक गलती प्रतिशत प्रकरण नाकामयाब रहे। इन विशेषज्ञों का मानना है कि के खिलाफ हमारी लड़ाई को कमजोर आते हैं ताकि उन्हें संक्रमण हो सके ताकत रखता है। कोरोना के बारे में तक पहुंच गए. तो देश के हालात देश और देशवासियों के लिए मुसीबत इलेक्ट्रॉनिक फण्ड ट्रांसफर अधिक विश्वसनीय है। ग्रामीण इलाकों किया है। इसके अलावा और वे मर जाएं। आश्चर्य है कि इन लापरवाह रवैये का जो नुक्सान क्या होंगे? भारत के पास अमरीका, बन सकती है। ऐसे में सरकार के अभी भी कम संख्या में हैं। इस प्रकार के डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिस कर्मियों तमाम अभद्र. अनैतिक, असभ्य और इटली स्पेन और अमेरिका को उठाना इटली, स्पेन, ब्रिटेन सरीखे संसाधन दिशा-निर्देशों का अनुपालन एक बैंकों में उमड़ने वाली भीड़ से लॉक डाउन का उद्देश्य विफल हो की घटनाएं भी सामने आयी हैं। जिन देश-विरोधी हरकतों के पीछे एक ही पड़ा उससे सबक लेते हुए भारत भी नहीं है। हम बुनियादी तौर पर जिम्मेदार नागरिक की भांति सबको इसलिए राज्य सरकारों को नकद भुगतान के वैकल्पिक तरीकों स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला किया समुदाय के चेहरे सामने क्यों आए हैं? को अगले चरण में और ज्यादा एक गरीब देश हैं, जहां करीब 30, करना चाहिए, इसी में देश व हम विचार करना होगा। पंचायत भवनों, आंगनबाड़ी केंद्रों तथा स्वयं गया वो तो जांच के लिए विभिन्न क्या वे कोरोना वायरस के खिलाफ सावधानी की जरूरत हैइस समय करोड़ लोग आज भी गरीबी रेखा के सबकी भलाई है। समूहों का प्रयोग सामाजिक सुरक्षा पेंशन और अन्य नकद भुगतान जा सकता है जिससे भीड़ का एकत्रीकरण न हो।लॉक डाउन भुखमरी की स्थिति को रोकने के लिए पैकेज में राशन देने संबंध झारखंड के अंदरूनी हिस्से में कहना है, 'यह सुनिश्चित करना हमारा किए गए हैं। यह कार्य पीडीएस के माध्यम से किया जाना है। कोरोना वायरस को लेकर अधिक चलनेवाले स्पिरिट के एक कारखाने लक्ष्य है कि इस लॉकडाउन के दौरानसाल की उम्र तक 37 प्रतिशत जुटे हैं, स्वास्थ्य मंत्रालय पूरी खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ लगभग 75 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों भयभीत नहीं होना है. हालात अभी मरीज हैं. 40 साल से 60 साल के सक्रियता के साथ काम कर रहा का योगदान बहुत छोटा, लेकिन वैश्विक कमजोर वर्गों के लिए पके हुए भोजन प्रतिशत शहरी परिवारों को मिलता है। कुल मिलाकर देश के भी नियंत्रण में हैं. हमारे पास अभी बीच करीब 27 प्रतिशत मरीज हैं. महामारी कोविड-19 से निपटने के है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन एक और सूखे राशन से लेकर वरिष्ठ दो तिहाई परिवार पीडीएस द्वारा लाभ पाते हैं। भारत के पास खास बात है कि इन आयु समूह में एक सप्ताह का समय है. इस " भारत के प्रयासों की दिशा में अत्यंत नागरिकों के लिए समर्पित सहायता डॉक्टर भी हैं. मैं उनकी के विशाल भंडार हैं। अनेक अर्थशास्त्री यह मानते हैं कि सरकार महत्वपूर्ण है. राज्य के महत्वाकांक्षी तक- समाज के किसी भी वर्ग की अवधि में क्या हालात होंगे, यह मौत नहीं होती है, जब तक कि कार्यशैली को व्यक्तिगत तौर पर बड़ी आसानी से आपात उपाय के रूप में पीडीएस राशन को छह जिले बोकारो के बालीडीह औद्योगिक अनदेखी न हो. हमें सामाजिक संगठनों समय बतायेगा. हमारे सामने मुख्य जानता हूं, वे बहुत कर्मठ मंत्री के लिए दोगुना कर सकती है। वर्तमान में सरकार 3 माह के लिए उनमें कोई और बीमारी न हो. बीते क्षेत्र में स्थित इस कारखाने ने लगभग से भी उत्कृष्ट प्रतिक्रिया मिली है. रूप से दो चुनौतियां है. एक तो दिनों एक 82 वर्ष की महिला इस रूप में काम कर रहे हैं. हमारे किलोग्राम अतिरिक्त गेहूं या चावल दे रही है। अब पीडीएस के जरिये इस बीमारी पर काबू पाना है, संक्रमण से उबर कर वापस लौटी तैयारियों को विश्व स्वास्थ्य दस लीटर सैनिटाइजर उत्पादित किया 'बिहार में नवादा के जिलाधिकारी द्वारा दी जाएंगी जो स्वागत योग्य है। ज्यां ड्रीज ने इस तथ्य की ओर हैं. इस प्रकार कह सकते हैं कि दूसरा गिरती अर्थव्यवस्था को भी है. 'स्माइलिंग बोकारो' नामक यह मोबाइल ऐप 'गो कोरोनारू सतर्कता संगठन ने भी सराहा है. आगे हम दिलाया है कि अभी भी बहत से निर्धन परिवार पीडीएस से नहीं जुडे इस बीमारी के खिलाफ हम लोगों में संभालना है. हमें प्रधानमंत्री द्वारा सेनिटाइजर विश्व स्वास्थ्य संगठन ही बचाव' लॉन्च किया गया है, जिला दक्षिण कोरिया के मॉडल पर सरकार नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत राज्यवार चलाये जा रहे कार्यक्रमों के प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी है. काम करने जा रहे हैं हम बडी (डब्ल्यूएचआ) क मानदडा का पूरा त्वरित टैकिंग और तत्काल चिकित्सा कवरेज की गणना करने के लिए 2011 की जनगणना के आंकड़ों यूरोप के मामले में देखें, तो वहां अनुसार काम करने की संख्या में लोगों की स्क्रीनिंग कर इस्तेमाल कर रही है। यदि इसके स्थान पर 2020 की संभावित तरह अनुपालन करत हुए बनाया गया उपलब्ध कराने को लमि है और यह जिले के निवासियों के आवश्यकता है. साथ ही जांच टीबी मलेरिया नहीं होता और न ही सकते हैं. प्रत्येक स्तर पर तैयारी गया और औरंगाबाद में सामाजिक के आंकड़ों का प्रयोग किया जाता है तो राज्य सरकारों को प्रक्रिया बढ़ाने और मामलों को वहां लोग गंदी हवा में सांस लेते हैं की गयी है. किट वाला टेस्ट लिए 210 रुपये प्रति लीटर मूल्य पर दूरी को प्रभावी ढंग से लागू किया जा खासी तादाद में नए राशन कार्ड जारी करने में आसानी होती। नियंत्रित करने की सबसे ज्यादा और वहां प्रदूषण खतरनाक स्तर पर सस्ता है. इसकी लागत 1200 से उपलब्ध है.दुमका प्रशासन ऑनलाइन रहा है.बाजारों में प्रतीक्षा करते समय खेरा ने कुछ अन्य सुझाव दिए हैं यथा एपीएल परिवारों को दिए गेम और प्रतियोगिताओं का आयोजन व्यक्तियों को कतारों में एक-दूसरे से जरूरत है. अभी देखनेवाली बात है नहीं है. वहां जरा-सा भी वायरस 1400 रुपये तक होगी जबकि राशन में इजाफा भले ही इसका मूल्य कुछ अधिक हो, गरीबों कर लोगों का घरों में रहना सुनिश्चित कम से सुरक्षित रह सकते हैं और बहुत अधिक पौष्टिक भी होते एक बहुत बड़ी समस्या शहरों में काम करने वाले प्रवासी इनका काम बंद हो गया हैइन्हें रहने की भी दिक्कत भीइन्हें मनरेगा और पीडीएस का भी फायदा नहीं मिल और कम्युनिटी हॉल, स्कूल आदि को इनके लिए शेल्टर रहा है। हमें इनकी स्वच्छता का ध्यान रखना होगा। साबुन और हँड सैनिटाइजर भी उपलब्ध कराने होंगे। इनमें होना चाहिए कि सोशल डिस्टेन्सिंग के नॉर्मस का पालन तामिलनाडु की अन्ना कैंटीन, कर्नाटक की इंदिरा कैंटीन ओडिशा और झारखंड के दाल भात केंद्र के मॉडल का अनुकरण उपलब्ध कराने के लिए किया जा सकता हैकेंद्र सरकार के जरिए चावल, गेहूं और दालें उपलब्ध करा सकती है। स्वयं इस सामुदायिक रसोई का संचालन कर सकते हैं। आय भी होगीइन सामुदायिक रसोइयों में भीड़ के एकत्रीकरण के लिए अलग अलग समय पर लोगों भोजन के लिए बुलाना तैयार करना जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं। यदि इन से कमजोर और कुपोषित श्रमिकों को कोरोना संक्रमण स्थिति भयानक हो जाएगी। ज्यां ड्रीज के अनुसार सुरक्षा में पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम, सोशल सिक्योरिटी पेंशन्स ट्रांसफर्स तीन प्रमुख स्तंभ हैंकिंतु फिर भी बहुत सारे लोग इस सुरक्षा घेरे के कमियों के कारण बाहर रह जाएंगे। स्तंभ की जरूरत होगी- हमें इमरजेंसी लाइन्स चालू करनी इमरजेंसी लाइन्स का उपयोग भूख का शिकार बन रहा कहीं से भी कर सकता है। ज्यां ड्रीज के अनुसार केबीके डिस्ट्रिक्सबलांगीर,कोरापुट) में अति निर्धन लोगों के लिए 2015 तक चलाए जा रहे थे किंतु उन्हें बन्द कर दिया गया। झारखंड के पास 10000 रुपए का इमरजेंसी फण्ड रहता है जिसका ऐसे व्यक्ति की सहायता हेतु किया जाता है जो भूख का है। राजस्थान में ग्राम पंचायतों के पास दो बोरी अनाज हमेशा है जिसे भुखमरी से पीड़ित लोगों को दिया जा सकता सामुदायिक रसोई की व्यवस्था रखते हैं जहां जरूरतमंदों सस्ता और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो जाता है।